Sunday 25 September 2016

क्षमा

भीतर क्षमा हो तो क्षमा निकलेगी भीतर क्रोध हो तो क्रोध निकलेगा हमारे अंदर जो भी संस्कार हैं वही बाहर निकलेंगे
इसलिए जब भी कुछ आपके बाहर निकले तो दूसरे को दोषी मत ठहराइये वह आपकी ही संपदा है जिसको आपने अपने भीतर छिपा रखा था...

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