Sunday 28 August 2016

वृक्ष के नीचे पानी

*वृक्ष के नीचे पानी डालने से सबसे ऊंचे पत्ते पर भी पानी पहुँच जाता है ,*
*उसी प्रकार प्रेम पूर्वक किये गए कर्म परमात्मा तक पहुंच जाते हैं*।
*सेवा सभी की करिये मगर,आशा किसी से भी ना रखिये*
*क्योंकि सेवा का सही मूल्य भगवान् ही दे सकते हैं इंसान नहीl*
�jay shri krishna

Saturday 27 August 2016

तेरा मेरा

तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है,
       जो भी कमाया यही रह जाना है !
कर ले कुछ अच्छे कर्म,
       साथ यही तेरे जाना है !
रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं,
       लेकिन मुस्कुराने से...
पराये भी अपने हो जाते हैं !
       मुझे वो रिश्ते पसंद है,
जिनमें  " मैं " नहीं  " हम " हो !!
इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नही,
उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत नही..

  
           सुभ प्रभात

Wednesday 24 August 2016

माखन चोर

दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी नारायणी सेना मांग ली थी।
और अर्जुन ने केवल श्री कृष्ण को मांगा था।
उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की चुटकी (मजाक) लेते हुए
कहा:
"हार निश्चित हैं तेरी, हर दम रहेगा उदास ।
माखन दुर्योधन ले गया, केवल छाछ बची तेरे पास ।"
अर्जुन ने कहा :- हे प्रभु
"जीत निश्चित हैं मेरी, दास हो नहीं सकता उदास ।
माखन लेकर क्या करूँ, जब माखन चोर हैं मेरे पास...!!!!

Sunday 21 August 2016

पसंद और प्रेम

पसंद और प्रेम में दोनों में क्या अंतर है ?
इसका सबसे सुन्दर जवाब गौतम बुद्ध ने दिया है :- अगर तुम 1 फूल को पसन्द करते हो तो तुम उसे तोड़कर रखना चाहोगे।
लेकिन अगर उस फूल से प्रेम करते हो तो तोड़ने के बजाय तुम रोज उसमें पानी डालोगे ताकि फूल मुरझाने न पाए।
जिसने भी  इस को समझ लिया समझो उसने पूरी जिंदगी को ही समझ लिया l
�jay shri krishna

Tuesday 16 August 2016

समाधान

पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसको कोई समस्या न हो और पृथ्वी पर कोई समस्या ऐसी नहीं है
जिसका कोई समाधान न हो समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करेगा कि हमारा सलाहकार कौन है ये बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि
दुर्योधन शकुनि से सलाह लेता था और अर्जुन श्रीकृष्ण से ...

Thursday 11 August 2016

अवगुण

गुण मिलने पर शादी होती है..
और
अवगुण मिलने पर दोस्ती !

'अहंकार' का 'ज्ञान'

ये इंसान भी परमात्मा ने  कैसी चीज़ बनाई है.....जिसे अपने 'ज्ञान' का
'अहंकार' तो बहुत है... लेकिन
अपने 'अहंकार' का 'ज्ञान' बिलकुल भी नहीं है....

Monday 8 August 2016

परखता

"परखता" तो वक्त है
      कभी हालात के रूप में
      कभी मजबूरीयों के रूप में,
         भाग्य तो बस आपकी
         काबिलियत देखता है!
        जीवन में कभी किसी से
         अपनी तुलना मत करो
         आप जैसे हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं,
    ईश्वर की हर रचना अपने आप में
          सर्वोत्तम है, अदभुत है।
"सुप्रभात"आपका दिन मंगलमय हो।

मेहनत लगती है

मेहनत लगती है,
सपनो को सच बनाने मे
हौसला लगता है,
बुलन्दियों को पाने मे
बरसो लगते है
जिन्दगी बनाने मे,
ओर
जिन्दगी फिर भी कम पडती है,
रिश्ते निभाने मे।
   

Sunday 7 August 2016

दूध

दूध उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो बिगड जाता है.  दूध में एक बूंद छाछ डालने से वह दही बन जाता है, जो केवल एक और दिन टिकता है.  दही का मंथन करने पर मक्खन बन जाता है, यह एक और दिन टिकता है. मक्खन को उबालकर घी बनता है. घी कभी बिगडता नहीं.
.
एक दिन में बिगडने वाले दूध में न बिगड़ने वाला घी छिपा है. 
.
इसी तरह आपका मन अथाह शक्तियों से भरा है. उसमे कुछ सकारात्मक विचार की बिलोनी डालो, अपने को मथो अर्थात चिंतन करो और अपने जीवन को तपाओ.
.
आप कभी न ख़राब होने वाले शुद्ध आत्मा बन जाओगे....

गुणयुक्त

गुणवदगुणवद्वा कुर्वता कार्यजातं
परिणतिरवधार्या यत्नतः पण्डितेन।
अतिरभसकृतानां कर्मणामाविपत्ते-
र्भवती हृदयदाही शल्यतुल्यो विपाकः।।
गुणयुक्त या दोषयुक्त कार्यों को करने से पूर्व विद्वान पुरुष को उसका परिणाम भली- भाँति सोच लेना चाहिए, क्योंकि अत्यंत शीघ्रता में किये गए कर्मों का परिणाम काँटे या कील के समान मरणपर्यन्त हृदय को संताप देता है।

षड्यंत्र

एक समय था जब  मंत्र  काम करते थे उसके बाद एक समय आया जिसमें  तंत्र काम करते थे फिर समय आया जिसमे यंत्र काम करते थे और आज के समय में कितने दुःख की बात है.सिर्फ षड्यंत्र काम करते है जब तक सत्य घर से बाहर निकलता है तब तक झूठ   आधी दुनिया घूम लेता हैl

मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज के कड़वे प्रवचन

राष्ट्रसंत मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज के कड़वे प्रवचन

"भले ही लड़ लेना - झगड़ लेना .
पिट जाना - पीट देना.
मगर बोल - चाल बंद मत करना ।
क्योकि बोल - चाल के बंद होते ही
सुलह  के सारे दरबाजे बंद हो जाते है।
गुस्सा बुरा नहीं है ।
गुस्से के बाद आदमी जो बैर पाल लेता है. वह बुरा है।
गुस्सा तो बच्चे भी करते है. मगर बच्चे बैर नहीं पालते ।
वे इधर लड़ते -झगड़ते है और अगले ही क्षण फिर एक हो जाते है ।
कितना अच्छा रहे की हर कोई बच्चा ही रहे ।
jay shri krishna

Tuesday 2 August 2016

झूठ

झूठ में आकर्षण हो सकता है पर स्थिरता केवल सत्य मे हैकुछ ऐसे हो रहा है रिश्तों का व्यापार जिससे जिसका मतलब जितना उससे उतना प्यार खामोशी से भी नेक काम होते है मैंने देखा है पेड़ों को छाँव देते हुए।

Speech

Speech Is An Important Part Of Our Personality..
Because
Looks And Beauty Can Only Gain Attraction..
But
Speech And Good Language Can Win Hearts Forever..!

परवरिश

जिन पौधो की परवरिश ,
हमेशा छांव में होती है ..
वह अक्सर कमजोर होते है ..

और जिन पौधो की परवरिश ,
धूप मे होती है ..
वह हर मौसम को झेल लेते है ..!!