दरिया ने झरने से पूछा
तुझे समन्दर नहीं बनना है क्या..?
झरने ने बड़ी नम्रता से कहा
बड़ा बनकर खारा हो जाने से अच्छा है
छोटा रह कर मीठा ही रहूँ
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दरिया ने झरने से पूछा
तुझे समन्दर नहीं बनना है क्या..?
झरने ने बड़ी नम्रता से कहा
बड़ा बनकर खारा हो जाने से अच्छा है
छोटा रह कर मीठा ही रहूँ
वक्त बड़ा बलवान होता है भैया... देख लो
कल जिनके हवाई जहाज चला करते थे
आज उनके पास पासपोर्ट भी नहीं है
तीन गांठें
भगवान बुद्ध अक्सर अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। एक दिन प्रातः काल बहुत से भिक्षुक उनका प्रवचन सुनने के लिए बैठे थे। बुद्ध समय पर सभा में पहुंचे, पर आज शिष्य उन्हें देखकर चकित थे क्योंकि आज पहली बार वे अपने हाथ में कुछ लेकर आए थे। करीब आने पर शिष्यों ने देखा कि उनके हाथ में एक रस्सी थी। बुद्ध ने आसन ग्रहण किया और बिना किसी से कुछ कहे वे रस्सी में गांठें लगाने लगे।
वहाँ उपस्थित सभी लोग यह देख सोच रहे थे कि अब बुद्ध आगे क्या करेंगे; तभी बुद्ध ने सभी से एक प्रश्न किया, मैंने इस रस्सी में तीन गांठें लगा दी हैं, अब मैं आपसे ये जानना चाहता हूँ कि क्या यह वही रस्सी है, जो गाँठें लगाने से पूर्व थी?
एक शिष्य ने उत्तर में कहा, गुरूजी इसका उत्तर देना थोड़ा कठिन है, ये वास्तव में हमारे देखने के तरीके पर निर्भर है। एक दृष्टिकोण से देखें तो रस्सी वही है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। दूसरी तरह से देखें तो अब इसमें तीन गांठें लगी हुई हैं जो पहले नहीं थीं; अतः इसे बदला हुआ कह सकते हैं। पर ये बात भी ध्यान देने वाली है कि बाहर से देखने में भले ही ये बदली हुई प्रतीत हो पर अंदर से तो ये वही है जो पहले थी; इसका बुनियादी स्वरुप अपरिवर्तित है।
सत्य है !, बुद्ध ने कहा, अब मैं इन गांठों को खोल देता हूँ। यह कहकर बुद्ध रस्सी के दोनों सिरों को एक दुसरे से दूर खींचने लगे। उन्होंने पुछा, तुम्हें क्या लगता है, इस प्रकार इन्हें खींचने से क्या मैं इन गांठों को खोल सकता हूँ?
नहीं-नहीं, ऐसा करने से तो या गांठें तो और भी कस जाएंगी और इन्हे खोलना और मुश्किल हो जाएगा। एक शिष्य ने शीघ्रता से उत्तर दिया।
बुद्ध ने कहा, ठीक है, अब एक आखिरी प्रश्न, बताओ इन गांठों को खोलने के लिए हमें क्या करना होगा?
शिष्य बोला, इसके लिए हमें इन गांठों को गौर से देखना होगा, ताकि हम जान सकें कि इन्हे कैसे लगाया गया था, और फिर हम इन्हे खोलने का प्रयास कर सकते हैं।
मैं यही तो सुनना चाहता था। मूल प्रश्न यही है कि जिस समस्या में तुम फंसे हो, वास्तव में उसका कारण क्या है, बिना कारण जाने निवारण असम्भव है। मैं देखता हूँ कि अधिकतर लोग बिना कारण जाने ही निवारण करना चाहते हैं , कोई मुझसे ये नहीं पूछता कि मुझे क्रोध क्यों आता है, लोग पूछते हैं कि मैं अपने क्रोध का अंत कैसे करूँ? कोई यह प्रश्न नहीं करता कि मेरे अंदर अंहकार का बीज कहाँ से आया, लोग पूछते हैं कि मैं अपना अहंकार कैसे ख़त्म करूँ? जिस प्रकार रस्सी में में गांठें लग जाने पर भी उसका बुनियादी स्वरुप नहीं बदलता उसी प्रकार मनुष्य में भी कुछ विकार आ जाने से उसके अंदर से अच्छाई के बीज ख़त्म नहीं होते। जैसे हम रस्सी की गांठें खोल सकते हैं वैसे ही हम मनुष्य की समस्याएं भी हल कर सकते हैं। इस बात को समझो कि जीवन है तो समस्याएं भी होंगी ही, और समस्याएं हैं तो समाधान भी अवश्य होगा, आवश्यकता है कि हम किसी भी समस्या के कारण को अच्छी तरह से जानें, निवारण स्वतः ही प्राप्त हो जाएगा। महात्मा बुद्ध ने अपनी बात पूरी की।
"भाग्य" के दरवाजे पर
सर पीटने से बेहतर है,
"कर्मो" का तूफ़ान पैदा करे
सारे दरवाजे खुल जायेंगे.!
परिस्थितिया जब विपरीत होती है,
तब "प्रभाव और पैसा" नहीं
"स्वभाव और सम्बंध" काम आते है ...
आज का सुविचार
आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असली रूप को न पहचान पाना है।
और इसे केवल आत्मज्ञान प्राप्त कर के ही ठीक किया जा सकता है ।
आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए, मानवता एक सागर की तरह है।
यदि सागर की कुछ बूंदे खराब है, तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता है
...
.एक बार एक व्यक्ति ने..
एक..नया मकान...खरीदा..
उसमे.फलों का बगीचा भी था..
...
...मगर पडौस के मकान पुराने थे..और उनमे कई लोग रहते थे.
...
..कुछ दिन बाद उसने देखा कि पडौस के मकान से किसी ने बाल्टी भर कूडा उसके घर ...दरवाजे पर डाल दिया है..
.....
..शाम को उस व्यक्ति ने एक बाल्टी ली उसमे ताजे फल रखे ..
और उस घर के दरवाजे पर घंटी बजायी....
..उस घर के लोग बेचैन हो गये.
और वो सोचने लगे कि वह उनसे सुबह की घटना के लिये लडने आया है..
..अत वे पहले ही तैयार हो गये और बुरा भला बोलने लगे..
.मगर जैसे ही उन्होने दरवाजा खोला....
.....वे हैरान हो गये...रसीले ताजे फलों की भरी बाल्टी के साथ...
...मुस्कान चेहरे पर लिये नया पडोसी सामने खडा था...
.........सब हैरान थे....
....उसने कहा....जो मेरे पास था वही मैं आपके लिये ला सका...
.....
.....
...........सच है जिसके पास जो है वही वह दूसरे को .....दे सकता है...
..जरा सोचिये..
.कि मेरे पास दूसरो
के लिये क्या है..
.....
...........दाग तेरे दामन के धुले ना धुले
नेकी तेरी कही तुला पर तुले ना तुले.....
मांग ले अपनी गलतियो की माफी खुद से.
क्या पता आँख कल ये खुले ना खुले.......
प्यार बांटो प्यार मिलेगा,
खुशी बांटो खुशी मिलेगी...
गुरू वन्दन
नौमी तिथि मधुमास पुनीता
सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत नघामा।
पावन काल लोक विश्रामा।।
तब---
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला
कौशल्या हितकारी
हरिषित महतारी मुनि मन हारी,
अभ्दुत रूप बिचारी।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बन माला नयन बिसाला,
सोभा सिन्धु खरारी।।
जय श्री रामरामनवमी
रामनवमी का त्यौहार चैत्र शुक्ल की नवमी मनाया जाता है. इस वर्ष यह त्यौहार 15 अप्रैल 2016 को मनाया जाएगा. रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है. हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रुप में मनाते हैं. यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है.
रामनवमी पूजन
रामनवमी का पूजन शुद्ध और सात्विक रुप से भक्तों के लिए विशष महत्व रखता है इस दिन प्रात:कल स्नान इत्यादि से निवृत हो भगवान राम का स्मरण करते हुए भक्त लोग व्रत एवं उपवास का पालन करते हैं. इस दिन राम जी का भजन एवं पूजन किया जाता है. भक्त लोग मंदिरों इत्यादि में भगवान राम जी की कथा का श्रवण एवं किर्तन किया जाता है. इसके साथ ही साथ भंडारे और प्रसाद को भक्तों के समक्ष वितरित किया जाता है. भगवान राम का संपूर्ण जीवन ही लोक कल्याण को समर्पित रहा. उनकी कथा को सुन भक्तगण भाव विभोर हो जाते हैं व प्रभू के भजनों को भजते हुए रामनवमी का पर्व मनाते हैं.
राम जन्म की कथा
हिन्दु धर्म शास्त्रो के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारो को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रुप में अवतार लिया था. श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन राजा दशरथ के घर में हुआ था. उनके जन्म पश्चात संपूर्ण सृष्टि उन्हीं के रंग में रंगी दिखाई पड़ती थी.
चारों ओर आनंद का वातावरण छा गया था प्रकृति भी मानो प्रभु श्री राम का स्वागत करने मे ललायित हो रही थी. भगवान श्री राम का जन्म धरती पर राक्षसो के संहार के लिये हुआ था. त्रेता युग मे रावण तथा राक्षसो द्वारा मचाये आतंक को खत्म करने के लिये श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम के रुप में अवतरित हुये. इन्हे रघुकुल नंदन भी कहा जाता है.
रामनवमी का महत्व |
रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिंदु धर्म सभयता में महत्वपूर्ण रहा है. इस पर्व के साथ ही मा दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी जुडा़ है. इस तथ्य से हमें ज्ञात होता है कि भगवान श्री राम जी ने भी देवी दुर्गा की पूज अकी थी और उनके द्वारा कि गई शक्ति पूजा ने उन्हें धर्म युद्ध ने उन्हें विजय प्रदान की. इस प्रकार इन दो महत्वपूर्ण त्यौहारों का एक साथ होना पर्व की महत्ता को और भी अधिक बढा़ देता है. कहा जाता है कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ भी किया था.
रामनवमी का व्रत पापों का क्षय करने वाला और शुभ फल प्रदान करने वाला होता है. राम नवमी के उपलक्ष्य पर देश भर में पूजा पाठ और भजन किर्तनों का आयोजन होता है. देश के कोने कोने में रामनवमी पर्व की गूंज सुनाई पड़ती है. इस दिन लोग उपवास करके भजन कीर्तन से भगवान राम को याद करते है. राम जन्म भूमि अयोध्या में यह पर्व बडे हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. वहां सरयु नदी में स्नान करके सभी भक्त भगवान श्री राम जी का आशिर्वाद प्राप्त करते हैं.।जय श्री राम
जो सफर की
शुरुआत करते हैं,
वे मंजिल भी पा लेते हैं.
बस,
एक बार चलने का
हौसला रखना जरुरी है.
क्योंकि,
अच्छे इंसानों का तो
रास्ते भी इन्तजार करते हैं...!
"क्रोध" भी तब पुण्य बन जाता है जब वह "धर्म" और "मर्यादा" के लिए किया जाए और "सहनशीलता" भी तब पाप बन जाती है जब वह "धर्म" और "मर्यादा" को बचा ना पाये"....!!!"
सुप्रभात...
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाये
किसी ने पूछा, "जीवन क्या है?"
एक उत्तम उत्तर......
जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसके पास सांसें तो होती हैं पर कोई नाम नहीं होता...
और जब मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसके पास नाम तो होता है पर सांसें नहीं होती।
इन्हीं 'सांसें, और 'नाम' के बीच की यात्रा को "जीवन" कहते हैं।
पुल और दीवार दोनों के निर्माण में एक जैसा रॉ मटेरियल लगता है,
जबकि....
पुल लोगों को जोड़ने का काम करता है..
और
दीवार अलग करने का काम करती है।
इन्सान भी भगवान ने एक जैसे ही बनाये हैं ,कौन कैसा व्यवहार करता है यह उसके संस्कारों पर निर्भर है....॥
एक रेड लाईट एरिया मे क्या खूब बात लिखी पाई गई
:
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"यहाँ सिर्फ जिस्म बिकता है,
ईमान खरीदना हो तो अगले चौक पर
'पुलिस स्टेशन' हैं "
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आप चाहते हैं, कि आपकी तानाशाही चले और
कोई आपका विरोध न करे तो आप भारत में
न्यायाधीश बन जाइये !
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आप चाहते हैं,
कि आप एक से बढ़कर एक झूठ बोलें
अदालत में, लेकिन कोई आपको सजा न दे,
तो आप वकील बन जाइये !
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कोई महिला चाहती हो
कि वो खूब देह व्यापार करे
लेकिन कोई उनको वेश्या न बोले,
तो बॉलीवुड में हेरोइन बन जाये !
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आप चाहते हैं,
कि आप खूब लूट मार करें,
लेकिन कोई आपको डाकू न बोले,
तो आप भारत में राजनेता बन जाइये !
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आप चाहते हैं,
कि आप दुनिया के हर सुख मांस,मदिरा,स्त्री
इत्यादि का आनंद लें, लेकिन कोई आपको
भोगी न कहे,तो किसी भी धर्म के धर्मगुरु बन
जाओ !
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आप चाहते हैं,
कि आप किसी को भी बदनाम कर दें,
लेकिन आप पर कोई मुकदमा न हो,
तो मीडिया में रिपोर्टर बन जाइये !
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यकीन मानिये कोई आप का बाल भी बाँका
नहीं कर पाएगा. भारत में, हर 'गंदे' काम के
लिए एक वैधानिक पद उपलब्ध
है, इसीलिए मेरा भारत महान है
.
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बात कडवी जरूर है लेकिन सच्ची एवं दमदार है....
उपवास का मथुरा
पति-. का बात है आज रोटी नाए बनायीं का..? जे रस अकेलो काये पी रई हैं.?
पत्नी, - आज हमाओ उपास है न..
पति-तो कछु खाए लेती काहे कू भूखी है.
पत्नी- हओ तनक फलाहार कर लिओ है.
4 केला
2 अनार
3 सेव
हलुआ , साबुदान की खिचड़ी, सिंगाड़ा की पूड़ी बस लओ है..
धौताएं 1 गिलास दूध और
दो कप चाय पी लई हती..
अब जौ मुसंबी को रस पी रये..तो तुमने टोक दयो...
आज ऊपास है न, सो कछु और नाएं खा सकत..
पति- तनक रबड़ी सबड़ी और ले लेतीं..
पत्नी -हओ रात के ब्यारी के बाद रबड़ी खाउगी .. खानो एकइ टेम खा सकत ए..
पति- भाई भोतइ कठिन उपास है तुमाओ तो....
कोउ को बाप नाइँ कर सके ऐसो कठिन उपास..
देखियो.. कमजोरी नाए आ जाये तोए.
पत्नी-जई से तो बीच बीच में
बदाम काजू फांक लए..
पति- फिरउ. ख्याल रखियो अपनों..!
बारिश के दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते हैं लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही अवॉयड कर देते है।
समस्याए कॉमन हैं, लेकिन आपका एटीट्यूड इसमें डिफरेंस पैदा करता है।
- अब्दुल कलाम
आपको अपने भीतर से ही विकास करना होता है। कोई आपको सिखा नहीं सकता, कोई आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता आपको सिखाने वाला और कोई नहीं, सिर्फ आपकी आत्मा ही है।
- स्वामी विवेकानंद
आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत, असफलता नामक बीमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाई है। ये आपको एक सफल व्यक्ति बनाती है।
-अब्दुल कलाम
विपरीत परस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं, तो कुछ लोग लोग रिकॉर्ड तोड़ देते हैं।
-शिव खेड़ा
देश का सबसे अच्छा दिमाग, क्लास रूम की आखरी बेंच पर भी मिल सकता है।
-अब्दुल कलाम
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदते बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी।
- अब्दुल कलाम
अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं, तो आप कर सकते हैं। अगर आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते हैं, तो आप नहीं कर सकते हैं।
-शिव खेड़ा
मैं अकेली हूँ, लेकिन फिर भी मैं हूँ। मैं सबकुछ नहीं कर सकती, लेकिन मैं कुछ तो कर सकती हूँ और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकती, मैं वो करने से पीछे नहीं हटूंगी जो मैं कर सकती हूँ।
-हेलेन किलर
कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्वाद नहीं करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्बाद करती है।
-शिव खेड़ा
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं ।
-स्वामी विवेकानंद
किसी डिग्री का ना होना दरअसल फायेदेमंद है, अगर आप इंजिनियर या डाक्टर हैं तब आप एक ही काम कर सकते हैं पर यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
-शिव खेड़ा
किसी वृक्ष को काटने के लिए आप मुझे छ: घंटे दीजिये और मैं पहले चार घंटे कुल्हाड़ी की धार तेज करने में लगाऊंगा।
-अब्राहम लिंकन
हम वो सब कर सकते हैं जो हम सोच सकते हैं और हम वो सब सोच सकते हैं जो आज तक हमने नहीं सोचा।