Monday 26 September 2016

संतो की वाणी

संतो की वाणी
कोई भी "आँख "से "काजल "चुरा नहीं सकता
विधि ने जो है" लिखा "वो "मिटा "नहीं सकता
ये "जिंदगी 'का "दीया "भी 'अजीब" "दीपक" है
जो "बुझ" गया तो कोई" फिर "जला" नहीं सकता
"बुराई" चीज ही ऐसी है "सब" में होती है
कोई "गुणो "को किसी के" चुरा "नहीं सकता
"सतगुरु" तो सभी के" दिलो" में "निवास" करते है
कोई किसी को "मगर "दिल "दिखा नहीं सकता
"सतगुरु" के "सिवा" भव "से "पार" कोई भी "लगा "नहीं सकता "l

अपनों से हमेशा जुड़े रहे

*आज एक नई सीख़ मिली*
जब अँगूर खरीदने बाजार गया ।
पूछा *"क्या भाव है?*
बोला : *"80 रूपये किलो ।"*
पास ही कुछ अलग-अलग टूटे हुए अंगूरों के दाने पडे थे ।
मैंने पूछा: *"क्या भाव है" इनका ?"*
वो बोला : *"30 रूपये किलो"*
मैंने पूछा : "इतना कम दाम क्यों..?
वो बोला : "साहब, हैं तो ये भी बहुत बढीया..!!
लेकिन ... *अपने गुच्छे से टूट गए हैं ।"*
मैं समझ गया कि ... *संगठन...समाज* और  *परिवार* से अलग होने पर हमारी कीमत......आधे से भी कम रह जाती है।

कृपया *अपनों* से हमेशा जुड़े रहे।

Sunday 25 September 2016

सात चीजें हमारा जीवन बर्बाद कर देती है:-

सात चीजें हमारा जीवन बर्बाद कर देती है:-
      बिना मेहनत के धन,
              बिना विवेक के सुख,
                     बिना सिध्दांतों के राजनीति,
       बिना चरित्र के ज्ञान,
               बिना नैतिकता के व्यापार,
                     बिना मानवता के विज्ञान,
                             बिना त्याग के पूजा

Represent yourself

"Always try to represent yourself 'happy',
Because ,
Initially, it becomes your 'look',
Gradually, it becomes your 'habit' &
finally, it becomes your 'personality'! "

क्षमा

भीतर क्षमा हो तो क्षमा निकलेगी भीतर क्रोध हो तो क्रोध निकलेगा हमारे अंदर जो भी संस्कार हैं वही बाहर निकलेंगे
इसलिए जब भी कुछ आपके बाहर निकले तो दूसरे को दोषी मत ठहराइये वह आपकी ही संपदा है जिसको आपने अपने भीतर छिपा रखा था...

Saturday 24 September 2016

कर्मों का फल

ध्यान से पढे़ , अनजाने मे पाप कैसे होता है

कर्मों का फल तो झेलना पड़ेगा

...
एक दृष्टान्त:-

भीष्म पितामह रणभूमि में
शरशैया पर पड़े थे।
हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते।

ऐसी दशा में उनसे मिलने सभी आ जा रहे थे। श्री कृष्ण भी दर्शनार्थ आये। उनको देखकर भीष्म जोर से हँसे और कहा.... आइये जगन्नाथ।.. आप तो सर्व ज्ञाता हैं। सब जानते हैं, बताइए मैंने ऐसा क्या पाप किया था जिसका दंड इतना भयावह मिला?

कृष्ण: पितामह! आपके पास वह शक्ति है, जिससे आप अपने पूर्व जन्म देख सकते हैं। आप स्वयं ही देख लेते।

भीष्म: देवकी नंदन! मैं यहाँ अकेला पड़ा और कर ही क्या रहा हूँ? मैंने सब देख लिया ...अभी तक 100 जन्म देख चुका हूँ। मैंने उन 100 जन्मो में एक भी कर्म ऐसा नहीं किया जिसका परिणाम ये हो कि मेरा पूरा शरीर बिंधा पड़ा है, हर आने वाला क्षण ...और पीड़ा लेकर आता है।

कृष्ण: पितामह ! आप एक भव और पीछे जाएँ, आपको उत्तर मिल जायेगा।

भीष्म ने ध्यान लगाया और देखा कि 101 भव पूर्व वो एक नगर के राजा थे। ...एक मार्ग से अपनी सैनिकों की एक टुकड़ी के साथ कहीं जा रहे थे।
एक सैनिक दौड़ता हुआ आया और बोला "राजन! मार्ग में एक सर्प पड़ा है। यदि हमारी टुकड़ी उसके ऊपर से गुजरी तो वह मर जायेगा।"

भीष्म ने कहा " एक काम करो। उसे किसी लकड़ी में लपेट कर झाड़ियों में फेंक दो।"

सैनिक ने वैसा ही किया।...उस सांप को एक लकड़ी में लपेटकर झाड़ियों में फेंक दिया।

दुर्भाग्य से झाडी कंटीली थी। सांप उनमें फंस गया। जितना प्रयास उनसे निकलने का करता और अधिक फंस जाता।... कांटे उसकी देह में गड गए। खून रिसने लगा। धीरे धीरे वह मृत्यु के मुंह में जाने लगा।... 5-6 दिन की तड़प के बाद उसके प्राण निकल पाए।
....

भीष्म: हे त्रिलोकी नाथ। आप जानते हैं कि मैंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया। अपितु मेरा उद्देश्य उस सर्प की रक्षा था। तब ये परिणाम क्यों?

कृष्ण: तात श्री! हम जान बूझ कर क्रिया करें या अनजाने में ...किन्तु क्रिया तो हुई न। उसके प्राण तो गए ना।... ये विधि का विधान है कि जो क्रिया हम करते हैं उसका फल भोगना ही पड़ता है।.... आपका पुण्य इतना प्रबल था कि 101 भव उस पाप फल को उदित होने में लग गए। किन्तु अंततः वह हुआ।....

जिस जीव को लोग जानबूझ कर मार रहे हैं... उसने जितनी पीड़ा सहन की.. वह उस जीव (आत्मा) को इसी जन्म अथवा अन्य किसी जन्म में अवश्य भोगनी होगी।

अतः हर दैनिक क्रिया सावधानी पूर्वक करें।.

कर्मों का फल तो भोगना  पड़ेगा

कंधे पर


मेरे कंधे पर बैठा मेरा बेटा जब मेरे कंधे पे खड़ा हो गया
मुझी से कहने लगा ';देखो पापा में तुमसे बड़ा हो गया';
मैंने कहा ';बेटा इस खूबसूरत ग़लतफहमी में भले ही जकडे रहना मगर मेरा हाथ पकडे रखना';
';जिस दिन यह हाथ छूट जाएगा
बेटा तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा';
';दुनिया वास्तव में उतनी हसीन नही है
देख तेरे पांव तले अभी जमीं नही है';
';में तो बाप हूँ बेटा
बहुत खुश हो जाऊंगा
जिस दिन तू वास्तव में मुझसे बड़ा हो जाएगा
मगर बेटे कंधे पे नही ...
जब तू जमीन पे खड़ा हो जाएगा!!
ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा ! और
तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा !!.

स्नेहिल-प्रभात...!

स्नेहिल-प्रभात...!!!

जीत मिले जीवन में, हर बाधा जाए हार;
सफलता सजे थाल पर, बने ख़ुशियाँ गले का हार;
दुःख सभी के दूर होवें, मिट जाए कष्ट-क्लेश;
नव-प्रगति नव-उल्लास का, नित होवे श्री गणेश।

कठिनाईयां

अगर इंसान शिक्षा से पहले संस्कृति ,,
व्यापार से पहले व्यवहार,,,
और भगवान से पहले माता-पिता,,
को पहचान ले तो,,
ज़िंदगी में कभी कोई ,,,
कठिनाईयां नहीं आएगी,,||

 

स्वर्ग के लिए कोई टिफिन सेवा...

श्राद्ध

☀ स्वर्ग के लिए कोई टिफिन
सेवा...
शुरू नही हुई है ।

⭐ माता-पिता को जीते-जी ही...
सारे सुख देना वास्तविक श्राद्ध है

समय

*"समय बहाकर* ले जाता है
            *नाम और निशान*...
कोई *हम* में रह जाता है
            कोई *अहम* में रह जाता है..

बोल मीठे ना हों तो *हिचकियाँ* भी नहीं आती....
*घर बड़ा हो या छोटा*,
अगर *मिठास* ना होंतो *इंसान* क्या,
*चींटियां* भी नहीं आती"...! 

तोड़ना

रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो जायें
लेकिन उन्हें तोड़ना मत.

क्योंकि
पानी चाहे कितना भी गंदा हो
प्यास भले ही ना बुझाए
पर आग तो बुझा ही सकता है.

नेत्र दान

जिनकी नजरों में हम अच्छे नही हैं
.
.
.
_वो अपना नेत्र दान कर सकते हैं_

Thursday 15 September 2016

प्रबंधन

             प्रबंधन का मतलब किसी भी कार्य को ठीक से करना है। और नेतृत्व का मतलब सही कार्य का चयन करना है।
   एक अच्छे नेतृत्व में दूरदृष्टि अथवा सोच को हकीकत में बदलने की क्षमता होती है।।
       "स्वयं में नेतृत्व क्षमता का विकास करे "

     

शरीर को चंगा रखो

"शरीर को चंगा रखो
दिमाग़ को ठंडा रखो
जेब को गरम रखो
आँखों में शरम रखो
जुबान को नरम रखो
दिल में रहम रखो
क्रोध पर लगाम रखो
व्यवहार को साफ़ रखो
होटो पर मुस्कुराहट रखो
फिर स्वर्ग मे जाने की
क्या जरूरत, यहीं स्वर्ग है
स्वस्थ रहो......व्यस्त रहो.
...

Monday 12 September 2016

डाली से टूटा फूल

डाली से टूटा फूल फिर से
लग नहीं सकता है
         मगर
डाली मजबूत हो तो उस पर
      नया फूल खिल सकता है
उसी तरह ज़िन्दगी में
             खोये पल को ला नहीं सकते
      मगर
हौसलें व विश्वास से
          आने वाले हर पल को
               खुबसूरत बना सकते हैं।
 

Sunday 11 September 2016

जीवन के तीन मंत

*जीवन के तीन मंत्र

        *आनंद में - वचन मत दीजिये* 
        *क्रोध में - उत्तर मत दीजिये* 
        *दुःख में - निर्णय मत लीजिये*

        *जीवन मंत्र* 

        *१)* धीरे बोलिये  शांति मिलेगी
        *२)* अहम छोड़िये  बड़े बनेंगे
        *३)* भक्ति कीजिए  मुक्ति मिलेगी
        *४)* विचार कीजिए  ज्ञान मिलेगा
        *५)* सेवा कीजिए  शक्ति मिलेगी
        *६)* सहन कीजिए  देवत्व मिलेगा
        *७)* संतोषी बनिए  सुख मिलेगा

        " *इतना छोटा कद रखिए कि* सभी आपके साथ बैठ सकें। *और इतना बड़ा मन रखिए कि* जब आप खड़े हो जाऐं, *तो कोई बैठा न रह* सके।"

           *शानदार बात*

        *झाड़ू जब तक एक सूत्र में बँधी* होती है, तब तक वह *"कचरा"* साफ करती है।

        *लेकिन वही झाड़ू जब बिखर* जाती है, तो खुद *"कचरा"* हो जाती है।

        *इस लिये, हमेशा संगठन से बंधे रहें, बिखर कर कचरा न बनें।*

              *Զเधे Զเधे*

सुभाषित

सुभाषित

मूर्खो न हि ददाति अर्थ
नरो दारिद्रयशङ्कया ।
प्राज्ञाः तु वितरति अर्थ
नरो दारिद्रयशङ्कया ॥
- भोजप्रबंध

A fool does not do charity for the fear of himself becoming poor(by losing the wealth). A wise man does charity exactly for the same fear that he may become poor if he did not do charity now.
-Bhojaprabandha

एक मूर्ख व्यक्ति इस डर से परोपकार , दान नहीं करता क्योंकि उसे लगता है कि धन खो जाने से वह गरीब हो जाऐगा ।एक बुद्धिमान व्यक्ति ठीक इस डर से दान , परोपकार करता है कि अगर उसने अभी दान किया तो वह गरीब हो सकता है।
---भोजप्रबन्ध

Wednesday 7 September 2016

रिश्ते और बर्फ के गोले

रिश्ते और बर्फ के गोले
एक समान ही होते हैं...
जिसे बनाना तो आसान होता है
लेकिन बनाए रखना
बहुत मुश्किल होता हैं।

दोनो को बचाए रखने का
बस एक ही तरीका है...
...शीतलता बनाए रखिए...!!

Tuesday 6 September 2016

मुस्कान


ऐ सूर्य देव मेरे अपनो को
         यह पैगाम देना;
खुशियों का दिन
         हँसी की शाम देना;
जब कोई पढे प्यार से
         मेरे इस पैगाम को;
तो उन को चेहरे पर
         प्यारी सी मुस्कान देना।
।सुप्रभात।

Friday 2 September 2016

जमीर

लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए ....

और मैं कहता हूँ कि आदमी का जमीर होना चाहिए ....

 

आवश्यकता से अधिक संचय

किसी ने महावीर से पुछा..
"ज़हर क्या है"..?

महावीर ने बहुत सुन्दर जबाब दिया...
"हर वो चीज़ जो ज़िन्दगी में
आवश्यकता से अधिक होती है
वही ज़हर है"..
फ़िर चाहे वो ताक़त हो,
धन हो, भूख हो, लालच हो,
अभिमान हो, आलस हो,
महत्वकाँक्षा हो, प्रेम हो या घृणा..
आवश्यकता से अधिक संचय "ज़हर" ही है..

चेहरा

*इंसान अपना वो चेहरा तो*
     *खूब सजाता है जिस पर❣*

     *लोगों की नज़र होती है*

    *मगर आत्मा को सजाने की*
    *कोशिश कोई नही करता*
*जिस पर परमात्मा की नजर होती है*

कड़वा सच

कड़वा सच है जरा धयान दें

एक नौजवान ने अपने दादा से पूछा कि दादा जी आप लोग पहले कैसे रहते थे ?
न कोई टेक्नोलॉजी , न जहाज, न कंप्यूटर, न गाड़ियां, न मोबाइल ।

दादा जी ने जवाब दिया कि जैसे तुम लोग आजकल रहते हो ।
न पूजा, न पाठ, न दीन, न धरम, न लज्जा, न शरम ।

     

शुन्य

ऐ मेरे प्रभु,
    तुझको कुछ बनाना ही है तो
     मुझे शुन्य बना दे, ताकि
    जिससे भी जुड जाऊ,
     वो दस गुना हो जाये.
   
     .....

रिश्ता और भरोसा

रिश्ता और भरोसा दोनो ही दोस्त हे,
रिश्ता रखो या ना रखो,
किंतु....
भरोसा जरूर रखना...
क्युंकी जंहा भरोसा होता हे वंहा रिस्ते अपने आप बन जाते है.....

बाजार

"दिमाग" से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है,,,!
"और "दिल" से बनाये "रिश्ते" आखरी सांस तक चलते है,,,!