निर्माणों के पावन युग मे
हम चरित्र निर्माण न भूलें,
स्वार्थ साधना की आँधी मे
वसुधा का कल्याण न भूलें,
शील विनय आदर्श श्रेष्ठता
तार बिना झंकार नही है,
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी
यदि नैतिक आधार नही है,
कीर्ति कौमुदी की गरिमा मे
संस्कृति का सम्मान न भूलें,
निर्माणो के पावन युग मे
हम चरित्र निर्माण न भूलें।।
No comments:
Post a Comment