Thursday 8 October 2015

"आवाज" ऊँची मत करो...

दुसरो को सुनाने के लिए अपनी "आवाज" ऊँची मत करो...
बल्कि ...
अपना "व्यक्तित्व" इतना ऊँचा
बनाओ की आपको सुनने के लिए "लोग" इंतज़ार करें...

Suprabhatam

No comments:

Post a Comment