Friday 16 October 2015

हँसते रहो, मुस्कुराते रहो


         हँसते रहो, मुस्कुराते रहो
उठो ! जागो !! रुको मत !!! जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाए ! कोई दूसरा हमारे प्रति बुराई करे या निंदा करे, उद्वेगजनक  बात कहे तो उसको सहन करने और उसे उत्तर न देने से बैर आगे नहीँ बढ़ता ! अपने ही मन मॆं कह लेना चाहिए कि इसका सबसे अच्छा उत्तर है मौन ! जो अपने कर्तव्य कार्य मॆं जुटा रहता है और दूसरों के अवगुणों की खोज मॆं नहीँ रहता उसे आंतरिक प्रसन्नता रहती है !
➡ जीवन मॆं उतार-चढाव आते ही रहते हैं !
➡ हँसते रहो, मुस्कुराते रहो !
➡ऐसा मुख किस काम का जो हँसे नहीँ, मुस्कुराए नहीँ !
जो व्यक्ति अपनी मानसिक शक्ति स्थिर रखना चाहते हैं, उनको दूसरों की आलोचनाओं से चिढ़ना नहीँ चाहिए !
        

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