Sunday 7 August 2016

दूध

दूध उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो बिगड जाता है.  दूध में एक बूंद छाछ डालने से वह दही बन जाता है, जो केवल एक और दिन टिकता है.  दही का मंथन करने पर मक्खन बन जाता है, यह एक और दिन टिकता है. मक्खन को उबालकर घी बनता है. घी कभी बिगडता नहीं.
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एक दिन में बिगडने वाले दूध में न बिगड़ने वाला घी छिपा है. 
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इसी तरह आपका मन अथाह शक्तियों से भरा है. उसमे कुछ सकारात्मक विचार की बिलोनी डालो, अपने को मथो अर्थात चिंतन करो और अपने जीवन को तपाओ.
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आप कभी न ख़राब होने वाले शुद्ध आत्मा बन जाओगे....

गुणयुक्त

गुणवदगुणवद्वा कुर्वता कार्यजातं
परिणतिरवधार्या यत्नतः पण्डितेन।
अतिरभसकृतानां कर्मणामाविपत्ते-
र्भवती हृदयदाही शल्यतुल्यो विपाकः।।
गुणयुक्त या दोषयुक्त कार्यों को करने से पूर्व विद्वान पुरुष को उसका परिणाम भली- भाँति सोच लेना चाहिए, क्योंकि अत्यंत शीघ्रता में किये गए कर्मों का परिणाम काँटे या कील के समान मरणपर्यन्त हृदय को संताप देता है।

षड्यंत्र

एक समय था जब  मंत्र  काम करते थे उसके बाद एक समय आया जिसमें  तंत्र काम करते थे फिर समय आया जिसमे यंत्र काम करते थे और आज के समय में कितने दुःख की बात है.सिर्फ षड्यंत्र काम करते है जब तक सत्य घर से बाहर निकलता है तब तक झूठ   आधी दुनिया घूम लेता हैl

मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज के कड़वे प्रवचन

राष्ट्रसंत मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज के कड़वे प्रवचन

"भले ही लड़ लेना - झगड़ लेना .
पिट जाना - पीट देना.
मगर बोल - चाल बंद मत करना ।
क्योकि बोल - चाल के बंद होते ही
सुलह  के सारे दरबाजे बंद हो जाते है।
गुस्सा बुरा नहीं है ।
गुस्से के बाद आदमी जो बैर पाल लेता है. वह बुरा है।
गुस्सा तो बच्चे भी करते है. मगर बच्चे बैर नहीं पालते ।
वे इधर लड़ते -झगड़ते है और अगले ही क्षण फिर एक हो जाते है ।
कितना अच्छा रहे की हर कोई बच्चा ही रहे ।
jay shri krishna

Tuesday 2 August 2016

झूठ

झूठ में आकर्षण हो सकता है पर स्थिरता केवल सत्य मे हैकुछ ऐसे हो रहा है रिश्तों का व्यापार जिससे जिसका मतलब जितना उससे उतना प्यार खामोशी से भी नेक काम होते है मैंने देखा है पेड़ों को छाँव देते हुए।

Speech

Speech Is An Important Part Of Our Personality..
Because
Looks And Beauty Can Only Gain Attraction..
But
Speech And Good Language Can Win Hearts Forever..!

परवरिश

जिन पौधो की परवरिश ,
हमेशा छांव में होती है ..
वह अक्सर कमजोर होते है ..

और जिन पौधो की परवरिश ,
धूप मे होती है ..
वह हर मौसम को झेल लेते है ..!!