राष्ट्रसंत मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज के कड़वे प्रवचन
"भले ही लड़ लेना - झगड़ लेना .
पिट जाना - पीट देना.
मगर बोल - चाल बंद मत करना ।
क्योकि बोल - चाल के बंद होते ही
सुलह के सारे दरबाजे बंद हो जाते है।
गुस्सा बुरा नहीं है ।
गुस्से के बाद आदमी जो बैर पाल लेता है. वह बुरा है।
गुस्सा तो बच्चे भी करते है. मगर बच्चे बैर नहीं पालते ।
वे इधर लड़ते -झगड़ते है और अगले ही क्षण फिर एक हो जाते है ।
कितना अच्छा रहे की हर कोई बच्चा ही रहे ।
jay shri krishna
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