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Friday, 8 July 2022
शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम
Saturday, 20 February 2021
पूजा के समय सिर ढकना जरूरी क्यों है?
Saturday, 31 October 2020
चिंता
Monday, 14 September 2020
अपने आज में जियें
Monday, 31 August 2020
पंच तत्वों की साधना
Friday, 10 April 2020
आखिर क्यों भृगु ऋषि में मारी भगवान विष्णु के लात - पौराणिक कथा
Monday, 6 April 2020
प्रेरणादायक कहानियां
Thursday, 22 December 2016
completeness
Smile indicates the Sweetness of heart and Silence indicates the Maturity of mind.
Having both indicates completeness of being human.
Monday, 26 September 2016
संतो की वाणी
संतो की वाणी
कोई भी "आँख "से "काजल "चुरा नहीं सकता
विधि ने जो है" लिखा "वो "मिटा "नहीं सकता
ये "जिंदगी 'का "दीया "भी 'अजीब" "दीपक" है
जो "बुझ" गया तो कोई" फिर "जला" नहीं सकता
"बुराई" चीज ही ऐसी है "सब" में होती है
कोई "गुणो "को किसी के" चुरा "नहीं सकता
"सतगुरु" तो सभी के" दिलो" में "निवास" करते है
कोई किसी को "मगर "दिल "दिखा नहीं सकता
"सतगुरु" के "सिवा" भव "से "पार" कोई भी "लगा "नहीं सकता "l
अपनों से हमेशा जुड़े रहे
*आज एक नई सीख़ मिली*
जब अँगूर खरीदने बाजार गया ।
पूछा *"क्या भाव है?*
बोला : *"80 रूपये किलो ।"*
पास ही कुछ अलग-अलग टूटे हुए अंगूरों के दाने पडे थे ।
मैंने पूछा: *"क्या भाव है" इनका ?"*
वो बोला : *"30 रूपये किलो"*
मैंने पूछा : "इतना कम दाम क्यों..?
वो बोला : "साहब, हैं तो ये भी बहुत बढीया..!!
लेकिन ... *अपने गुच्छे से टूट गए हैं ।"*
मैं समझ गया कि ... *संगठन...समाज* और *परिवार* से अलग होने पर हमारी कीमत......आधे से भी कम रह जाती है।
कृपया *अपनों* से हमेशा जुड़े रहे।
Sunday, 25 September 2016
सात चीजें हमारा जीवन बर्बाद कर देती है:-
सात चीजें हमारा जीवन बर्बाद कर देती है:-
बिना मेहनत के धन,
बिना विवेक के सुख,
बिना सिध्दांतों के राजनीति,
बिना चरित्र के ज्ञान,
बिना नैतिकता के व्यापार,
बिना मानवता के विज्ञान,
बिना त्याग के पूजा
Represent yourself
"Always try to represent yourself 'happy',
Because ,
Initially, it becomes your 'look',
Gradually, it becomes your 'habit' &
finally, it becomes your 'personality'! "
क्षमा
भीतर क्षमा हो तो क्षमा निकलेगी भीतर क्रोध हो तो क्रोध निकलेगा हमारे अंदर जो भी संस्कार हैं वही बाहर निकलेंगे
इसलिए जब भी कुछ आपके बाहर निकले तो दूसरे को दोषी मत ठहराइये वह आपकी ही संपदा है जिसको आपने अपने भीतर छिपा रखा था...
Saturday, 24 September 2016
कर्मों का फल
ध्यान से पढे़ , अनजाने मे पाप कैसे होता है
कर्मों का फल तो झेलना पड़ेगा
...
एक दृष्टान्त:-
भीष्म पितामह रणभूमि में
शरशैया पर पड़े थे।
हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते।
ऐसी दशा में उनसे मिलने सभी आ जा रहे थे। श्री कृष्ण भी दर्शनार्थ आये। उनको देखकर भीष्म जोर से हँसे और कहा.... आइये जगन्नाथ।.. आप तो सर्व ज्ञाता हैं। सब जानते हैं, बताइए मैंने ऐसा क्या पाप किया था जिसका दंड इतना भयावह मिला?
कृष्ण: पितामह! आपके पास वह शक्ति है, जिससे आप अपने पूर्व जन्म देख सकते हैं। आप स्वयं ही देख लेते।
भीष्म: देवकी नंदन! मैं यहाँ अकेला पड़ा और कर ही क्या रहा हूँ? मैंने सब देख लिया ...अभी तक 100 जन्म देख चुका हूँ। मैंने उन 100 जन्मो में एक भी कर्म ऐसा नहीं किया जिसका परिणाम ये हो कि मेरा पूरा शरीर बिंधा पड़ा है, हर आने वाला क्षण ...और पीड़ा लेकर आता है।
कृष्ण: पितामह ! आप एक भव और पीछे जाएँ, आपको उत्तर मिल जायेगा।
भीष्म ने ध्यान लगाया और देखा कि 101 भव पूर्व वो एक नगर के राजा थे। ...एक मार्ग से अपनी सैनिकों की एक टुकड़ी के साथ कहीं जा रहे थे।
एक सैनिक दौड़ता हुआ आया और बोला "राजन! मार्ग में एक सर्प पड़ा है। यदि हमारी टुकड़ी उसके ऊपर से गुजरी तो वह मर जायेगा।"
भीष्म ने कहा " एक काम करो। उसे किसी लकड़ी में लपेट कर झाड़ियों में फेंक दो।"
सैनिक ने वैसा ही किया।...उस सांप को एक लकड़ी में लपेटकर झाड़ियों में फेंक दिया।
दुर्भाग्य से झाडी कंटीली थी। सांप उनमें फंस गया। जितना प्रयास उनसे निकलने का करता और अधिक फंस जाता।... कांटे उसकी देह में गड गए। खून रिसने लगा। धीरे धीरे वह मृत्यु के मुंह में जाने लगा।... 5-6 दिन की तड़प के बाद उसके प्राण निकल पाए।
....
भीष्म: हे त्रिलोकी नाथ। आप जानते हैं कि मैंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया। अपितु मेरा उद्देश्य उस सर्प की रक्षा था। तब ये परिणाम क्यों?
कृष्ण: तात श्री! हम जान बूझ कर क्रिया करें या अनजाने में ...किन्तु क्रिया तो हुई न। उसके प्राण तो गए ना।... ये विधि का विधान है कि जो क्रिया हम करते हैं उसका फल भोगना ही पड़ता है।.... आपका पुण्य इतना प्रबल था कि 101 भव उस पाप फल को उदित होने में लग गए। किन्तु अंततः वह हुआ।....
जिस जीव को लोग जानबूझ कर मार रहे हैं... उसने जितनी पीड़ा सहन की.. वह उस जीव (आत्मा) को इसी जन्म अथवा अन्य किसी जन्म में अवश्य भोगनी होगी।
अतः हर दैनिक क्रिया सावधानी पूर्वक करें।.
कर्मों का फल तो भोगना पड़ेगा
कंधे पर
मेरे कंधे पर बैठा मेरा बेटा जब मेरे कंधे पे खड़ा हो गया
मुझी से कहने लगा ';देखो पापा में तुमसे बड़ा हो गया';
मैंने कहा ';बेटा इस खूबसूरत ग़लतफहमी में भले ही जकडे रहना मगर मेरा हाथ पकडे रखना';
';जिस दिन यह हाथ छूट जाएगा
बेटा तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा';
';दुनिया वास्तव में उतनी हसीन नही है
देख तेरे पांव तले अभी जमीं नही है';
';में तो बाप हूँ बेटा
बहुत खुश हो जाऊंगा
जिस दिन तू वास्तव में मुझसे बड़ा हो जाएगा
मगर बेटे कंधे पे नही ...
जब तू जमीन पे खड़ा हो जाएगा!!
ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा ! और
तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा !!.
स्नेहिल-प्रभात...!
स्नेहिल-प्रभात...!!!
जीत मिले जीवन में, हर बाधा जाए हार;
सफलता सजे थाल पर, बने ख़ुशियाँ गले का हार;
दुःख सभी के दूर होवें, मिट जाए कष्ट-क्लेश;
नव-प्रगति नव-उल्लास का, नित होवे श्री गणेश।
कठिनाईयां
अगर इंसान शिक्षा से पहले संस्कृति ,,
व्यापार से पहले व्यवहार,,,
और भगवान से पहले माता-पिता,,
को पहचान ले तो,,
ज़िंदगी में कभी कोई ,,,
कठिनाईयां नहीं आएगी,,||
स्वर्ग के लिए कोई टिफिन सेवा...
श्राद्ध
☀ स्वर्ग के लिए कोई टिफिन
सेवा...
शुरू नही हुई है ।
⭐ माता-पिता को जीते-जी ही...
सारे सुख देना वास्तविक श्राद्ध है
समय
*"समय बहाकर* ले जाता है
*नाम और निशान*...
कोई *हम* में रह जाता है
कोई *अहम* में रह जाता है..
बोल मीठे ना हों तो *हिचकियाँ* भी नहीं आती....
*घर बड़ा हो या छोटा*,
अगर *मिठास* ना होंतो *इंसान* क्या,
*चींटियां* भी नहीं आती"...!
तोड़ना
रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो जायें
लेकिन उन्हें तोड़ना मत.
क्योंकि
पानी चाहे कितना भी गंदा हो
प्यास भले ही ना बुझाए
पर आग तो बुझा ही सकता है.