सुप्रभात अरूणोदय अभिनंदन
नव वंदन नव अर्चना, नित्य करूं उठ भोर।
करुणानिधि किरपा करो, देख हमारी ओर।।
हे परमपिता परमात्मा नित्य प्रातः काल उठते ही मुझे आपका स्मरण हो आता है हे। समस्त जगत के प्राणियों के मनोभावों को जानने वाले करुणाकर मेरी भी सुध लिजिये क्योंकि प्रतिक्षण मेरी आँखें आपकी की ही और लगी रहती है
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