Friday 29 January 2016

मुकद्दर

जो मिल गया उसे मुकद्दर समझो…
खुद को वक्त का सिकंदर समझो…
क्यों डरते हो, गम के तूफानों से…
सबको लहरें, और खुद को समंदर समझो…!!!

"दरिया" बन कर किसी को डुबोना बहुत आसान है

,मगर "जरिया" बनकर किसी को बचायें तो कोई बात बने.... . . .
    

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