Friday 2 September 2016

जमीर

लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए ....

और मैं कहता हूँ कि आदमी का जमीर होना चाहिए ....

 

आवश्यकता से अधिक संचय

किसी ने महावीर से पुछा..
"ज़हर क्या है"..?

महावीर ने बहुत सुन्दर जबाब दिया...
"हर वो चीज़ जो ज़िन्दगी में
आवश्यकता से अधिक होती है
वही ज़हर है"..
फ़िर चाहे वो ताक़त हो,
धन हो, भूख हो, लालच हो,
अभिमान हो, आलस हो,
महत्वकाँक्षा हो, प्रेम हो या घृणा..
आवश्यकता से अधिक संचय "ज़हर" ही है..

चेहरा

*इंसान अपना वो चेहरा तो*
     *खूब सजाता है जिस पर❣*

     *लोगों की नज़र होती है*

    *मगर आत्मा को सजाने की*
    *कोशिश कोई नही करता*
*जिस पर परमात्मा की नजर होती है*

कड़वा सच

कड़वा सच है जरा धयान दें

एक नौजवान ने अपने दादा से पूछा कि दादा जी आप लोग पहले कैसे रहते थे ?
न कोई टेक्नोलॉजी , न जहाज, न कंप्यूटर, न गाड़ियां, न मोबाइल ।

दादा जी ने जवाब दिया कि जैसे तुम लोग आजकल रहते हो ।
न पूजा, न पाठ, न दीन, न धरम, न लज्जा, न शरम ।

     

शुन्य

ऐ मेरे प्रभु,
    तुझको कुछ बनाना ही है तो
     मुझे शुन्य बना दे, ताकि
    जिससे भी जुड जाऊ,
     वो दस गुना हो जाये.
   
     .....

रिश्ता और भरोसा

रिश्ता और भरोसा दोनो ही दोस्त हे,
रिश्ता रखो या ना रखो,
किंतु....
भरोसा जरूर रखना...
क्युंकी जंहा भरोसा होता हे वंहा रिस्ते अपने आप बन जाते है.....

बाजार

"दिमाग" से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है,,,!
"और "दिल" से बनाये "रिश्ते" आखरी सांस तक चलते है,,,!