Thursday, 30 June 2016


एक व्यक्ती ने एक फकीर से पुछा
उत्सव मनाने का बेहतरीन
दिन कौन सा है ?
फकीर ने प्यार से कहा - मौत से
एक दिन पहले
व्यक्ति : मौत का तो कोई वक़्त
नहीं
फकीर ने मुस्कुराते हुए कहा...
*तो ज़िंदगी का हर दिन आख़री समझो*
_और_
*जीने का आनन्द लो।*


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Tuesday, 14 June 2016

सुख

" इतिहास कहता है कि
     कल सुख था !

  विज्ञान कहता है कि
     कल सुख होगा !

  लेकिन धर्म कहता है
     कि....

  अगर मन सच्चा और
     दिल अच्छा हैं....

  तो हर रोज सुख है....!!"

     

Monday, 6 June 2016

शख्सियत

शख्सियत अच्छी होगी !
तभी दुश्मन बनेगे ,
वरना बुरे की तरफ , देखता ही कौन हैं !!

पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं, जो फलों से लदा होता है ,
देखा है किसी को सूखे पेड पर पत्थर फेंकते हुए.? 

Saturday, 4 June 2016

सत्य

सत्य को कहने के लिए, किसी शपथ की जरूरत नहीं होती।

नदियों को बहने के लिए, किसी पथ की जरूरत नहीं होती।

जो बढ़ते हैं जमाने में, अपने मजबूत इरादों पर,

उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए, किसी रथ की जरूरत नहीं होती।,

Thursday, 2 June 2016

तुलसी जी को तोडने से पहले वंदन करो

सुप्रभात जय श्री कृष्ण

तुलसी जी को तोडने से पहले वंदन करो।

1. तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए,नाखूनों के तोडने से पाप लगता है।

2.सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए ।

3. रविवार को तुलसी पत्र नहीं
तोड़ने चाहिए ।

4. जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है। उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है । उनके घर
सत्पुत्र का जन्म होता है ।

5. द्वादशी के दिन तुलसी को नहीं तोडना चाहिए ।

6. सांयकाल के बाद तुलसी जी लीला करने जाती है।

7. तुलसी जी वृक्ष नहीं है! साक्षात् राधा जी का अवतार है ।

8. तुलसी के पत्तो को चबाना नहीं चाहिए।

"तुलसी वृक्ष ना जानिये।
गाय ना जानिये ढोर।।
गुरू मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।।

अर्थात-

तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें और गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें, क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं"

Tuesday, 31 May 2016

मुस्कान


ना कोई राह़ आसान चाहिए,,,
     ना ही हमें कोई पहचान चाहिए,,,
         एक चीज माँगते रोज भगवान से,, सब लोगों के चेहरे पे हर पल,,,
         प्यारी सी मुस्कान चाहिये !!!

          

Sunday, 29 May 2016

जिंदगी एक सादे कागज़

हमारी जिंदगी एक सादे कागज़ के समान है, जिस पर हर इंसान को स्वयं ही चित्रकारी करनी है।
" ईश्वर "ने हमें हमारे 'कर्म ' की ' पेंसिल ' देकर हमें चित्रकारी करने की  सुविधा अवश्य दी है , परंतु सदैव ध्यान रखें...

" ईश्वर " ने हमें ऐसा कोई रबर (eraser) नहीं दिया है, जिससे हम अपनी बनाई चित्रकारी को मिटा सकें !!

ओउम्  शान्ति