Wednesday, 4 May 2016

पिघलना

प्रशंसा से "पिघलना" मत
आलोचना से "उबलना" मत
निःस्वार्थ भाव से कर्म करो

क्योंकि -

         इस 'धरा' का
         इस 'धरा'  पर
         सब 'धरा' रह जाएगा ।

भाग्य

"भाग्य" के दरवाजे पर
सर पीटने से बेहतर है,

"कर्मो" का तूफ़ान पैदा करे
सारे दरवाजे खुल जायेंगे.!

परिस्थितिया जब विपरीत होती है,
तब "प्रभाव और पैसा" नहीं
"स्वभाव और सम्बंध" काम आते है ...

         

फलदार पेड़

"फलदार पेड़ और गुणवान
        व्यक्ति ही झुकते है,
सुखा पेड़ और मुर्ख
        व्यक्ति कभी नहीं झुकते ।
कदर किरदार की होती है
     … वरना…कद में तो साया भी
इंसान से बड़ा होता है..!!"

Sunday, 1 May 2016

Our mind is a magnet..

Our mind is a magnet..

If we think of Blessings,
we attract Blessings..

And if we think of Problems, we attract Problems..

Always cultivate good thoughts and always remain Positive & Optimistic..
Good Morning
Stay Positive!
Make a lovely day ahead....
Enjoy Life & Keep Smiling!

प्राणायाम

ध्यान....
एक बार एक गोपी यमुना किनारे
बैठी प्राणायाम कर
रही थी.तभी वहाँ नारद
जी वीणा बजाते हुए आये,नारद
जी बड़े ध्यान से देखने लगे
गोपी कर क्या रही है ?
क्योकि व्रज में कोई ध्यान
लगाये ये बात उन्हें हजम
ही नहीं हो रही थी,बहुत देर तक
विचार करते रहने पर भी उन्हें
समझ नहीं आया तो वे गोपी के और
निकट गए,और गोपी से बोले-
नारद जी - देवी ! ये आप क्या कर
रही है,बहुत देर तक विचार करने
पर भी मुझे समझ नहीं आ
रहा,क्योकि व्रज में कोई ध्यान
लगाये,वो भी इस तरह प्राणायाम
आदि नियमों सहित ऐसा तो व्रज
में कभी सुना नहीं.फिर
ऐसा क्या हो गया कि आपको ध्यान
लगाने की आवश्यकता पड़ गई ?
गोपी बोली - नारद जी ! मै जब
भी कोई काम करती हूँ तो काम
तो कर नहीं पाती हर समय वो नंद
का छोरा आँखों से ध्यान से
निकलता ही नहीं है,घर लीपती हूँ
तो गोवर में वही दिखता है
लीपना तो वही छूट जाता है और
कृष्ण के ध्यान में ही डूब
जाती हूँ,रोटी बनाती हूँ
तो जैसे ही आटा गूदती हूँ,
तो नरम-नरम आटा में कृष्ण के
कोमल चरणों का आभास होता है,
आटा तो वैसा ही रखा रह जाता है
और में कृष्ण की याद में
खो जाती हूँ, कहाँ तक बताऊ नारद
जी, जल भरने यमुना जी जाती हूँ
तो यमुना जी में,जल की गागर में,
रास्ते में, हर
कहीं नंदलाला ही दिखायी देते
है.मै इतना परेशान हो गई हूँ
कि कृष्ण को ध्यान से निकालने
के लिए ध्यान लगाने बैठी हूँ.
हमें तो भगवान को याद
करना पडता है,भगवान को याद करने
के लिए ध्यान लगाना पडता है,और
गोपी को ध्यान से निकलने के लिए
ध्यान में
बैठना पडता है.गोपी की हर
क्रिया में कृष्ण है, गोपी ने
अपने ह्रदय में केवल कृष्ण
को बैठा रखा है, और हमने ? हमने
माता-पिता को बैठा रखा है,पत्नी,
बच्चे,घर,बंगला ,गाड़ी,
व्यापार,को बैठा रखा है.
और भगवान को घर के बाहर मंदिर
में बैठा रखा है,और रात को मंदिर
में ताला भी डाल देते है
कि कही भगवान मंदिर से निकल कर
हमारे पास न आ जाए.

प्राणायाम

ध्यान....
एक बार एक गोपी यमुना किनारे
बैठी प्राणायाम कर
रही थी.तभी वहाँ नारद
जी वीणा बजाते हुए आये,नारद
जी बड़े ध्यान से देखने लगे
गोपी कर क्या रही है ?
क्योकि व्रज में कोई ध्यान
लगाये ये बात उन्हें हजम
ही नहीं हो रही थी,बहुत देर तक
विचार करते रहने पर भी उन्हें
समझ नहीं आया तो वे गोपी के और
निकट गए,और गोपी से बोले-
नारद जी - देवी ! ये आप क्या कर
रही है,बहुत देर तक विचार करने
पर भी मुझे समझ नहीं आ
रहा,क्योकि व्रज में कोई ध्यान
लगाये,वो भी इस तरह प्राणायाम
आदि नियमों सहित ऐसा तो व्रज
में कभी सुना नहीं.फिर
ऐसा क्या हो गया कि आपको ध्यान
लगाने की आवश्यकता पड़ गई ?
गोपी बोली - नारद जी ! मै जब
भी कोई काम करती हूँ तो काम
तो कर नहीं पाती हर समय वो नंद
का छोरा आँखों से ध्यान से
निकलता ही नहीं है,घर लीपती हूँ
तो गोवर में वही दिखता है
लीपना तो वही छूट जाता है और
कृष्ण के ध्यान में ही डूब
जाती हूँ,रोटी बनाती हूँ
तो जैसे ही आटा गूदती हूँ,
तो नरम-नरम आटा में कृष्ण के
कोमल चरणों का आभास होता है,
आटा तो वैसा ही रखा रह जाता है
और में कृष्ण की याद में
खो जाती हूँ, कहाँ तक बताऊ नारद
जी, जल भरने यमुना जी जाती हूँ
तो यमुना जी में,जल की गागर में,
रास्ते में, हर
कहीं नंदलाला ही दिखायी देते
है.मै इतना परेशान हो गई हूँ
कि कृष्ण को ध्यान से निकालने
के लिए ध्यान लगाने बैठी हूँ.
हमें तो भगवान को याद
करना पडता है,भगवान को याद करने
के लिए ध्यान लगाना पडता है,और
गोपी को ध्यान से निकलने के लिए
ध्यान में
बैठना पडता है.गोपी की हर
क्रिया में कृष्ण है, गोपी ने
अपने ह्रदय में केवल कृष्ण
को बैठा रखा है, और हमने ? हमने
माता-पिता को बैठा रखा है,पत्नी,
बच्चे,घर,बंगला ,गाड़ी,
व्यापार,को बैठा रखा है.
और भगवान को घर के बाहर मंदिर
में बैठा रखा है,और रात को मंदिर
में ताला भी डाल देते है
कि कही भगवान मंदिर से निकल कर
हमारे पास न आ जाए.

स्वर्ग में

Nice lines

स्वर्ग में सब कुछ है लेकिन मौत नहीं है,
गीता में सब कुछ है लेकिन झूठ नहीं है,
दुनिया में सब कुछ है लेकिन किसी को सुकून नहीं है,
और
आज के इंसान में सब कुछ है लेकिन सब्र नहीं 
राजा भोज ने कवि कालीदास से दस सर्वश्रेष्ट सवाल किए..

1- दुनिया में भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना क्या है ?
                         उत्तर - ''मां''
2 - सर्वश्रेष्ठ फूल कौन सा है ?
                         उत्तर - "कपास का फूल"
3 - सर्वश्र॓ष्ठ सुगंध कौनसी है ?
                        उत्तर - वर्षा से भीगी मिट्टी की सुगंध
4 - सर्वश्र॓ष्ठ मिठास कौनसी ?
                        उत्तर - "वाणी की"
5 - सर्वश्रेष्ठ दूध ?
                        उत्तर - "मां का"
6 - सबसे से काला क्या है ?
                        उत्तर - "कलंक"
7 - सबसे भारी क्या है?
                         उत्तर - "पाप"
8 - सबसे सस्ता क्या है ?
                         उत्तर -  "सलाह"
9 - सबसे महंगा क्या है ?
                         उत्तर -  "सहयोग"
10 - सबसे कडवा क्या है?
                         ऊत्तर - "सत्य".
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║    प्रेम से कहिये जय श्री राधे   ║
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अगर मेरे पास एक रुपया है और आपके पास भी एक रुपया है और हम एक दूसरे से बदल ले तो दोनों के पास एक एक रुपया ही रहेगा।
किंतु
अगर मेरे पास एक  अच्छा विचार है और आपके पास एक अच्छा विचार है और दोनों आपस में बदल ले तो दोनों के पास दो दो विचार होंगे!

है न ……!!
तो अच्छे विचारो का आदान प्रदान जारी रखिये...
और अपनी मानसिक पूंजी बढ़ाते रहिये ।
   ☝मंजिल वही, सोच नई