Friday, 6 November 2015

इंसान

इंसान ख्वाहिशों से बंधा
हुआ एक ज़िद्दी परिंदा है।

उम्मीदों से घायल ज़रूर है मगर,
उम्मीदों पर ही ज़िंदा है !!

Tuesday, 3 November 2015

अच्छे आचरण

"अच्छे आचरण से सम्प्रति बढती है, अच्छे आचरण से सम्मान मिलता है, अच्छे आचरण से आयुष्य बढती है और अच्छे आचरण से ही चरित्र के दोष दूर हो जाते हैं !!"

Wednesday, 28 October 2015

एक खुबसुरत सच......

मंदिर के बाहर लिखा हुआ एक खुबसुरत सच......

"अगर उपवास करके भगवान खुश होते,

तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट
रहनेवाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होता..

उपवास अन का नही विचारों का करे....

इंसान खुद की नजर में सही होना चाहिए, दुनिया तो भगवान से भी दुखी है!

आज का विचार:

चिड़िया जब जीवित रहती है
           तब वो चिंटी को खाती है

चिड़िया जब मर जाती है तब
           चींटिया उसको खा जाती है।

इसलिए इस बात का ध्यान रखो की समय और स्तिथि कभी भी बदल सकते है.

इसलिए कभी किसी का अपमान मत करो
कभी किसी को कम मत आंको।
तुम शक्तिशाली हो सकते हो पर समय तुमसे भी शक्तिशाली है।
एक पेड़ से लाखो माचिस की तीलिया बनाई जा सकती है
पर एक माचिस की तिल्ली से लाखो पेड़ भी जल सकते है।

कोई चाहे कितना भी महान क्यों ना हो जाए, पर कुदरत कभी भी किसी को महान  बनने का मौका नहीं देती।

कंठ दिया कोयल को, तो रूप छीन लिया ।
रूप दिया मोर को, तो ईच्छा छीन ली ।
दी ईच्छा इन्सान को, तो संतोष छीन लिया ।
दिया संतोष संत को, तो संसार छीन लिया ।
दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को, तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।

☝मत करना कभी भी ग़ुरूर अपने आप पर 'ऐ इंसान'
☝ भगवान ने तेरे और मेरे जैसे कितनो को मिट्टी से बना के, मिट्टी में मिला दिए ।

इंसान दुनिया में तीन चीज़ो के लिए मेहनत करता है

1-मेरा नाम ऊँचा हो .
२ -मेरा लिबास अच्छा हो .
3-मेरा मकान खूबसूरत हो ..

लेकिन इंसान के मरते ही भगवान उसकी तीनों चीज़े
सबसे पहले बदल देता है

१- नाम = (स्वर्गीय )
२- लिबास = (कफन )
३-मकान = ( श्मशान )

जीवन की कड़वी सच्चाई जिसे हम समझना नहीं चाहते 

ये चन्द पंक्तियाँ
जिसने भी लिखी है
खूब लिखी है

एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर भी पथ्थर ही रहते है ..!!
NICE LINE
एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और
वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए अपनी माँ को त्याग देता है
********[**********]*****
जीवन में हर जगह
हम "जीत" चाहते हैं...

सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि
"हार" चाहिए।

क्योंकि

हम भगवान से
"जीत" नहीं सकते।

क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।

ज़मीर ज़िंदा रख


ज़मीर ज़िंदा रख
कबीर ज़िंदा रख।

सुल्तान भी बन जाए तो
दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख।

लालच डिगा न पाए तुझे
आंखों का नीर ज़िंदा रख।

इन्सानियत सिखाती जो
मन में वो पीर ज़िंदा रख।

हौसले के तरकश में
कोशिश का तीर ज़िंदा रख.

..

Saturday, 24 October 2015

सुई में धागा

जिस तरह सुई में धागा डालने
से वो कही खोती नहीं ,उसी
तरह आत्मा रूपी सुई मे
सिमरन रूपी धागा डाला जाये
तो वह भी संसार में कभी नहीं खोत्ती !
सतगुरु उस धागे को हमेशा अपने हाथ में पकड कर
रखते हैं..
       

Friday, 23 October 2015

उसे "मैं" ने मारा है.

अयोध्या से वापस आने
पर मां कौशल्या ने पूछा
"रावण" को मार दिया?

राम ने सुन्दर जवाब दिया-
उसे मैंने नहीं मारा,
उसे "मैं" ने मारा है.

Prepare yourself on this Dussera to finish  "मैं"  from within:

Thursday, 22 October 2015

एक संवाद लंकेश के साथ

"एक संवाद लंकेश के साथ" 

कल सुबह-सुबह रास्ते में एक दस सिर वाला हट्टा कट्टा बंदा अचानक मेरी बाइक के आगे आ गया। जैसे तैसे ब्रेक लगाई और पूछा..

क्या अंकल 20-20 आँखें हैं..फिर भी दिखाई नहीं देता ?
जवाब मिला- थोड़ा तमीज से बोलो, हम लंकेश्वर रावण हैं !

ओह अच्छा ! तो आप ही हो श्रीमान रावण ! एक बात बताओ..ये दस-दस मुंह संभालने थोड़े मुश्किल नहीं हो जाते ? मेरा मतलब शैम्पू वगैरह करते टाइम..यू नो...और कभी सर दर्द शुरू हो जाए तो पता करना मुश्किल हो जाता होगा कि कौनसे सर में दर्द हो रहा है...?

रावण- पहले ये बताओ तुम लोग कैसे डील करते हो इतने सारे मुखोटों से ? हर रोज चेहरे पे एक नया मुखोटा , उस पर एक और मुखोटा , उस पर एक और ! यार एक ही मुंह पर इतने नकाब...थक नहीं जाते ?

अरे-अरे आप तो सिरियस ले गए...मै तो वैसे ही... अच्छा ये बताओ मैंने सुना है आप कुछ ज्यादा ही अहंकारी हो? 
रावण- हाहाहाहाहाहाहा

अब इसमे हंसने वाली क्या बात थी , कोई जोक मारा क्या मैंने ? 

रावण- और नहीं तो क्या...एक 'कलियुगी इन्सान' के मुंह से ये शब्द सुनकर हंसी नहीं आएगी तो और क्या होगा ? तुम लोग साले एक छोटी मोटी डिग्री क्या ले लो, अँग्रेजी के दो-पवरी  अक्षर क्या सीख लो, यूं इतरा के चलते हो जैसे तुमसे बड़ा ज्ञानी कोई है ही नहीं इस धरती पे ! एक तुम ही समझदार ,बाकी सब गँवार ! और मैंने चारों वेद पढ़ के उनपे टीका टिप्पणी तक कर दी ! चंद्रमा की रोशनी से खाना पकवा लिया ! इतने-इतने कलोन बना डाले, दुनिया का पहला विमान और खरे सोने की लंका बना दी ! तो थोड़ा बहुत घमंड कर भी लिया तो कौन आफत आ पड़ी... हैं?

चलो ठीक है बॉस,ये तो जस्टिफ़ाई कर दिया आपने, लेकिन...लेकिन गुस्सा आने पर बदला चुकाने को किसी की बीवी ही उठा के ले गए ! ससुरा मजाक है का ? बीवी न हुई छोटी मोटी साइकल हो गयी...दिल किया, उठा ले गए बताओ !

(एक पल के लिए रावण महाशय तनिक सोच में पड़ गए, मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आने ही वाली थी कि फिर वही इरिटेटिंग अट्टहास )

हाहाहाहाहाहहह
लुक हू इज़ सेइंग ! अबे मैंने श्री राम की बीवी को उठाया, मानता हूँ बहुत बड़ा पाप किया और उसका परिणाम भी भुगता ,पर मेघनाथ की कसम-कभी जबरदस्ती दूर...हाथ तक नहीं लगाया,उनकी गरिमा को रत्ती भर भी ठेस नहीं पहुंचाई और तुम.. तुम कलियुगी इन्सान !! छोटी-2 बच्चियों तक को नहीं बख्शते ! अपनी हवस के लिए किसी भी लड़की को शिकार बना लेते हो...कभी जबरदस्ती तो कभी झूठे वादों,छलावों से ! अरे तुम दरिंदों के पास कोई नैतिक अधिकार बचा भी है भी मेरे चरित्र पर उंगली उठाने का?? फोकट में ही !

इस बार शर्म से सर झुकाने की बारी मेरी थी...पर मैँ भी ठहरा पक्का 'इन्सान' ! मज़ाक उड़ाते हुए बोला...अरे जाओ-जाओ अंकल ! दशहरा है, सारी हेकड़ी निकाल देंगे देखना 
(और इस बार लंकवेशवर जी इतनी  ज़ोर से हँसे कि मै गिरते-गिरते बचा!)

यार तुम तो नवजोत सिंह सिद्धू के भी बाप हो ,बिना बात इतनी ज़ोर-2 से काहे हँसते हो...ऊपर से एक भी नहीं दस-दस मुंह लेके, कान का पर्दा फाड़ दो, जरा और ज़ोर से हंसो तो !

रावण- यार तुम बात ही ऐसी करते हो । वैसे कमाल है तुम इन्सानो की भी..विज्ञान में तो बहुत तरक्की कर ली पर कॉमन सैन्स ढेले का भी नहीं! हर साल मेरा पुतला भर जला के खुश हो जाते हो......
घुटन मुझे होती है तुम लोगों का लैवल देख कर...मतलब जानते नही दशहरा का, बदनाम मुझे हर साल फालतू मे करते हो

किसी दिन टाइम निकाल कर तुम सब अपने अंदर के रावण को देख सको तो
पता चले की क्या तुम मुझे जलाने लायक हो ??

जलाना छोडो ! तुम आज के तुच्छ इन्सान मेरे पैर छूने लायक नही.. 

बाकी दिल बहलाने को कुछ ही करो