Friday 6 November 2015

इंसान

इंसान ख्वाहिशों से बंधा
हुआ एक ज़िद्दी परिंदा है।

उम्मीदों से घायल ज़रूर है मगर,
उम्मीदों पर ही ज़िंदा है !!

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